महेंद्र सिंह धोनी, रांची की छोटी गलियों से निकला यह शख्स एक दिन क्रिकेट की दुनिया में राज करेगा, इस बारे में कम ही लोगों ने सोचा था। तेज दिमाग, शक्ति और फूर्ति के बल पर इस क्रिकेटर ने जेंटलमैन गेम में अपनी अलग साख बनाई। अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी के बल पर धोनी ने विश्व के बेस्ट फिनिशर का टैग हासिल किया तो दबाव की परिस्थिति में खुद को शांत रखते हुए टीम को जीत दिलाकर कैप्टन कूल बन गए। धोनी की फैन फॉलोइंग जबर्दस्त है, जिस पर किसी को कोई शक भी नहीं।
हर क्रिकेटर की तरह महेंद्र सिंह धोनी के भी दिन भर आए हैं। 38 साल के धोनी ने अपने साथ-साथ भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों पर पहुंचाया, लेकिन अब उनमें पुरानी धार नजर नहीं आ रही है। पिछले दो सालों में धोनी का बल्लेबाजी फॉर्म चिंता का विषय बना और उनकी फिटनेस अच्छी होने के बावजूद विकेटकीपिंग लचर दिखी। यह इस बात से साबित हुआ कि विश्व कप 2019 में धोनी वह विकेटकीपर बने, जिन्होंने सबसे ज्यादा रन खर्च किए। अब टीम इंडिया के लिए धोनी युग लगभग समाप्त हो चुका है। धोनी के प्रदर्शन का असर तो उनकी सालाना कमाई पर भी पड़ा। कभी ब्रांड्स के चहेते रहे माही की सालाना कमाई में भारी नुकसान आया।
भारतीय टीम भी धोनी के बिना आगे बढ़ने की तैयारी कर चुकी है। ऋषभ पंत समेत कई युवा खिलाड़ी उनकी जगह लेने को तैयार हैं। पंत को तो धोनी का उत्तराधिकारी माना जा रहा है और वह अब तीनों प्रारूपों में धोनी की जगह लेने को तैयार नजर आ रहे हैं। धोनी के गिरते फॉर्म को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय क्रिकेट में धोनी युग का अंत हो चुका है। धोनी की टीम इंडिया को जरूरत नहीं बची है।
यह बात इन पांच कारणों से साबित भी होती है:
1) फूर्ति में आई कमी – महेंद्र सिंह धोनी विश्व के सबसे फूर्तिले विकेटकीपरों की लिस्ट में शुमार थे। मगर पिछले कुछ समय में उनका फॉर्म बेहद खराब रहा। धोनी ने कई कैच टपकाए और स्टंपिंग के मौके भी गंवाए। धोनी को बिजली से भी तेज रफ्तार से स्टंपिंग करने के लिए जाना जाता था, लेकिन उनकी यह खासियत अब फीकी पड़ती दिख रही है। ऋषभ पंत बतौर विकेटकीपर अपने प्रदर्शन में सुधार कर रहे हैं और उन्हें टीम का भी समर्थन प्राप्त है। ऐसे में धोनी भी उन भारतीय खिलाडि़यों के समान बाहर हो सकते हैं, जिन्हें दिग्गज का स्तर मिलने के बावजूद भी मैदान से विदाई नहीं मिली।
2) बेस्ट फिनिशर नहीं बचे – टी20 और वनडे क्रिकेट में पिछले तीन सालों में कई ऐसे मौके आए जब धोनी के पास अपनी साख के हिसाब से मैच खत्म करने का मौका आया। मगर वह हर बार चूके। विश्व कप में तो उनकी धीमी बल्लेबाजी आलोचकों का सबसे पसंदीदा विषय रही। धोनी लंबे शॉट लगाने के लिए जाने जाते हैं और उनका यह खेल आईपीएल में जरूर दिखा, लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वह इस कमाल को दोहरा नहीं पाए। ऐसे में धोनी की उपस्थिति टीम इंडिया को क्या फायदा दिलाएगी। वनडे में बेशक धोनी की औसत 50 के करीब है, लेकिन ढलती उम्र का असर उनकी बल्लेबाजी पर दिखा।
3) टी20 विश्व कप दूर की कौड़ी – धोनी के बचपन के कोच सहित कई लोग कह चुके हैं कि पूर्व कप्तान को अगले साल ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 विश्व कप तक खेलना जारी रखना चाहिए। मगर धोनी की फॉर्म उनकी सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है। ऐसा दिखता है कि इंटरनेशनल मैच खेलते समय उन पर साख का ज्यादा दबाव है और वह टीम इंडिया को किसी प्रकार का फायदा नहीं पहुंचा पा रहे हैं। धोनी के लिए टी20 विश्व कप काफी दूर है और उन्हें समय के अनुसार अपनी काबिलियत को परख लेना चाहिए।
4) ब्रेक पर ब्रेक किस काम के – महेंद्र सिंह धोनी की पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने भी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि 2019 विश्व कप की तैयारी के लिहाज से धोनी को घरेलू टूर्नामेंट में शिरकत करनी चाहिए थी। मगर धोनी ने किसी की बात नहीं मानी और घरेलू टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया। इसका परिणाम ये रहा कि वह विश्व कप में उनकी बेहद धीमी बल्लेबाजी करते दिखे क्योंकि उन्हें मैच प्रैक्टिस हासिल नहीं थी। विश्व कप के बाद धोनी ने वेस्टइंडीज दौरे पर जाने से इंकार कर दिया क्योंकि वह आर्मी में अपनी सेवाएं देना चाहते थे। अब वह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी सीरीज में हिस्सा नहीं ले रहे हैं।
5) दिग्गज होने के बाद नहीं बचे पहली पसंद – धोनी की बराबरी कोई नहीं कर सकता। यह बात बिलकुल सच है। उन्होंने 16 साल के करियर में जो हासिल किया, वह शायद ही कोई और दोहरा सके। धोनी महान हैं। यह बात सभी अच्छे से जानते हैं। मगर भारतीय चयनकर्ता साफ कर चुके हैं कि धोनी अब टीम इंडिया के विकेटकीपर के रूप में पहली पसंद नहीं हैं। किसी खिलाड़ी का खेल ही उसका खेल में कद बढ़ाता है। मगर धोनी को संकेत दिए जा चुके हैं कि अब टीम आपसे आगे बढ़ना चाहती है। धोनी को भी अपनी साख की परवाह करते हुए संन्यास लेने का इमोशनल फैसला ले लेना चाहिए। एक फैन के रूप में कोई नहीं चाहेगा कि धोनी क्रिकेट से विदाई लें, लेकिन क्रिकेट ऐसा ही है। यहां बहुत दिग्गज आते हैं, लेकिन उन्हें जाना ही होता है। धोनी युग भी समाप्ति की ओर पहुंच चुका है।